अवसान (Avsan)

300 270
Language Hindi
Binding Paperback
Pages 212
ISBN-10 9390889308
ISBN-13 978-9390889303
Book Dimensions 5 x 8.5
Edition 1st
Publishing Year 2021
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Author: Renu Tyagi

किशना के आस पास मरघट में सन्नाटा पसरा हुआ था..वहां की मिट्टी में दबी हर बच्ची की लाश जैसे उसे पुकार रही हो..वहां खड़ा पीपल का वृक्ष अशांत दिख रहा था, उसके पत्ते ऐसे बज रहे थे जैसे कि.. अदालत में वकील चीख रहे हो.. सुबूतों के आधार पर.. बार बार यही कह रहे हो.. उसका हर पत्ता बेजुबां नजर आ रहा था.. पर हर पत्ते से जज की तरह आवाज़ आ रही थी.. ऑर्डर ऑर्डर..सब चुप रहे..अदालत की कार्यवाही में बाधा उत्पन्न ना करें.. उसके पत्तों पर हर जुर्म की कहानी साफ़ साफ़ दिख रही थी.. पत्ता पत्ता जानता था कि किसने गुनाह किया यहां.. मरने वालों की रूह किधर गई.. पर फिर भी शांति थी..बस मन चीख रहा था किशना का राघव पर तरस आ रहा था उसे..एक मासूम बच्चा.. कितने दिन तक जूझता रहा था ऐसी विडंबना से..कैसे मर मरकर जिया होगा इतने दिनों तक..किशना को तो पल में जीना मुश्किल हो गया था.. मन कर रहा था कि गौरी के पति को खुलेआम सूली पर लटका दे..ऐसे लोगों को जीने का अधिकार कैसे दे दिया है इस समाज ने.. खूनी लोगों को छोड़ रखा है, और खून करने के लिए हे भगवान ..ये कैसी सजाएं दे रहा है तू..दया कर..इन मासूमों पर..या फिर इन्हें पैदा करना छोड़ दें..

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