अब तक 316 (तीन सौ सौलह) ग्रंथों के प्रणेता पद्मश्री डॉ. श्रीनिवास उद्गाता विरल व्यक्तित्व हैं। मानों एक जीवन्त किंवदन्ती है। अहंरहित उभय ओड़िआ तथा राष्ट्रभाषा हिन्दी और मातृभाषा कोसली के एक ख्यातनामा प्रवीण कवि, कथाकार, औपन्यासिक, निबन्धकार, नाट्यकार, स्तम्भकार, अनुवादक, चित्रकार आदि की असामान्य प्रतिभा के लिये कोई सम्मान पुरस्कार तुच्छ है। फिर भी आप विद्यावाचस्पति, आचार्य विद्यासागर, केन्द्र साहित्य अकादेमी, शारला सम्मान तथा इम्फा पुरस्कार, उत्तर प्रदेश हिन्दी साहित्य संस्थान से सौहार्द सम्मान आदि शताधिक सर्वभारतीय स्वीकृतियों के साथ राष्ट्रीय पद्मश्री सम्मानालङ्कृत हुए हैं। आप ओड़िशा साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष थे। संप्रति आत्मप्रकाशनी सारस्वत सांस्कृतिक संस्था के अध्यक्ष हैं। आप अनेक प्रदर्शनियों में अभ्यर्चित एक शिखर स्तर के चित्रकार हैं। सभी माध्यमों की सफल चित्र-रचना सहित आप ग्रंथ आवरण और अलङ्करण हेतु भी एक कुशल चित्रकार माने जाते हैं। उनकी दो कहानियों के आधार पर जातीय स्तर की टेलीफिल्म बनी थी जिनका दूरदर्शन प्रसारण में समादृत हुआ था।
कविता एक करने का खातिर (Kavita ek krane ka khaatir)
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