‘जीप पर सवार इल्लियाँ….’ यह कथा हमने बचपन में स्कूल की किताबों में पढ़ी थी. हिंदी के महान व्यंग्यकार शरद जोशी की लिखी इस कथा के जरिये सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार का चित्रण किया गया था. सरकारी अधिकारी इल्लियाँ बनकर कैसे किसानों की फसल को चट कर जाते हैं..इसका बखूबी चित्रण किया गया था इस कहानी में. धीरे-धीरे समय बदला और लोग बदले. बदले परिदृश्य में इल्लियाँ, इल्लियाँ नहीं रही. वे खा-पीकर बिल्लियाँ हो गयीं हैं। मोटी-ताज़ी बिल्लियाँ. बदलते दौर में अब इन बिल्लियों ने जीप की सवारी छोड़ दी है, क्योंकि जीप अब प्रासंगिक नहीं रही. जीप अब रूतबे-रूआब का प्रतीक नहीं रही। लिहाजा ये ‘बिल्लियाँ’ अब एक-से एक बढ़िया मॉडल की कार की सवारी कर रहीं है और पूरे सिस्टम को अपनी कार तले रौंद रहीं हैं. शरद जी के अतिरिक्त परसाई जी भी को भी मैंने खूब पढ़ा है. उन्हें अपना गुरु माना है. घर में उनकी तस्वीर लगाकर और उनको साक्षी मानकर एकलव्य की तरह लेखन कार्य करता रहा हूँ. कभी उनके सामने जाने और उन्हें अपना गुरु बताने की मेरी हिम्मत नहीं हुई….क्या पता द्रोण की तरह वो भी गुरु दक्षिणा में मुझसे अंगूठा मांग लेते…तो मेरा क्या होता…
कार पर सवार बिल्लियाँ (Car Par Sawar Billiyan)
Brand :
Language | Hindi |
Binding | Paperback |
ISBN-10 | 9390889715 |
ISBN-13 | 978-9390889716 |
Publishing Year | 2021 |
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