प्रायः तीन सौ से भी अधिक वर्षों से ‘कुण्डली’ नामक छन्द रचना और आलोचना दोनों ही सन्दर्भों का केन्द्र रहा है । बिना ईश्वरीय कृपा और विलक्षण काव्य सामर्थ्य के कुण्डली सृजन सम्भव ही नहीं । हास्य प्रधान रचना ‘गड़बड़झाला’ एक सौ इक्यावन चुटीली कुण्डलियों का अनूठा संग्रह है । विश्व्कीर्तिमानक डॉ. ओम् जोशी द्वारा विरचित ‘गड़बड़झाला’ में हास्य/व्यंग्य के अनेक शब्दचित्र उपलब्ध हैं, जो पाठक/श्रोता के अधरों पर मुस्कान बिखेरने में सर्वसमर्थ हैं । सबसे महत्त्वपूर्ण कथ्य तो यह है कि डॉ. ओम् जोशी ने ‘कुण्डली’ की छान्दसी अवधारणा को पारम्परिक रूप में भी स्वीकारा है और समानान्तरतः इसे परिशोधित कर नूतन स्वरुप भी प्रदान किया है । डॉ जोशी का समग्र कुण्डली संसार ऐसा ही आश्चर्यबोधक है ।
गड़बड़झाला (Gadbadjhala)
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