चार लघु उपन्यास (Char Laghu Upanyas)

295 251
Language Hindi
Binding Paperback
Pages 188
ISBN-10 9394369058
ISBN-13 978-9394369054
Edition 1st
Publishing Year 2022
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Author: Ramanuj Anuj
रामानुज अनुज जी की लंबी कहानी ‘मृणालिनी ‘ की बात करूं तो वह पाठक को ऐसी बांधती है कि पढ़ चुकने के बाद भी वह उससे संवेदना के स्तर पर बराबर जुड़ाव महसूस करता रहता है। मृणालिनी ऐसी भारतीय स्त्री है जिसने तीस बरसों से अपने पहले प्रेम को अपने मन की तिजोरी में सहेज रखा है। अपने प्रेमी ओम नारायण श्रीवास्तव से दूर रहने के दर्द को अकेले झेलती रही है। न वह अपने पति डॉ. अमरेंदु को बता सकती और न ही अपनी डॉक्टर बेटी सौम्या को। क्योंकि वह जानती है कि पुरुषवादी समाज में पुरुष के लिए प्रेम का प्रदर्शन पौरुषोचित माना जाता है किंतु स्त्री के लिए हेय। किन्तु कोरोना महामारी से ग्रस्त स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में मुख्य प्रबंधक के पद पर आसीन अपने प्रेमी ओमनारायण के अस्पताल में ऑक्सीजन उपलब्ध न होने से देहावसान होने की खबर अखबार के मुख पृष्ठ पर पढ़ कर मृणालिनी बुरी तरह से टूट जाती है। उसके लिए इस भयावह दर्द को मन के अंदर रखना असहनीय हो जाता है। उसके प्रेमी का शव उसी अस्पताल में पड़ा है जिसमें उसके पति डॉक्टर हैं। वह अपना दर्द साझा करे भी तो किससे? क्या एक शादीशुदा के परपुरुष प्रेम को कोई सहजता से स्वीकार करेगा? अंततः वह अपना दर्द एक युवती से साझा करने का साहस करती है। वह जानती है कि स्त्री ही स्त्री के प्रेम को समझ सकती है। वह युवती है उसकी पुत्री सौम्या। रामानुज अनुज जी ने प्रेम की इस कथा को ऐसा बुना है कि हमें हरेक पात्र से आत्मीयता अनुभव होने लगती है। पढ़ चुकने के बाद भी हमारे मन में मृणालिनी, डॉ अमरेंदु, ओमनारायण, सौम्या, नौकरानी सावनी लम्बे समय तक हलचल मचाये रहते हैं। यही है रामानुज अनुज जी की संवेदनशील कलम का चमत्कार। नमन उनकी कलम को। कु.पूजा दुबे, सागर (मध्यप्रदेश)
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