चौबारे बोलते हैं (Chaubare bolte hain)

250 213
Language Hindi
Binding Paperback
Pages 134
ISBN-10 9390889596
ISBN-13 978-9390889594
Book Dimensions 5.50 x 8.50 in
Edition 1st
Publishing Year 2022
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Author: Dr. Vijay SrivastavaShobhita 'Divya'

हमारी दादी, नानी और मां की जबानों में | हम सबका चौबारा जो अब अकेला है शांत है उसको बच्चों की आस है, दादी नानी की चाहत है जो उसको कभी गुलजार कर देती थी वो बरगद, पीपल ,पकरिया का पेड़ जिसमें सुबह-शाम चिड़िया चहचहाती थी | जहां दिन में बुजुर्गों की टोली बैठती थी इकट्ठे होकर किससे गुनगुनाती रहती थी, उनको देख बच्चे भी पहुंच जाते थे और फिर शुरू होती थी कि किस्सों और आप बीतियों की एक लंबी झड़ी | चौबारा खामोश होकर भी बहुत कुछ कहता है, पीढ़ियां गुजरती है और साथ ही साथ दुनिया को देखने की दृष्टि भी बदल जाती है | हमारी यह पुस्तक सिर्फ किस्से और कहानियां नहीं चौबारों की कथा और व्यथा भी है | चौबारा तो चौबारा ठहरा | मानवीय जीवन के हर पहलू सुख-दुख, प्रेम महत्वाकांक्षा आदि का सदियों से गवाह रहा है | खामोश होकर भी वह न जाने कितने किस्सों को गड़ता है और गड़ता रहेगा और हमारे किस्से सिर्फ एक एक चौबारे के नहीं, किस्से देशों गांव और और शहर – शहर में फैले हर एक चौबारे के हैं, क्योंकि जब चौबारे बोलते हैं तो किस्से का शब्दों का रूप लेकर कहानी बन जाते हैं और चौबारे सिर्फ बोलते नहीं अपितु कहानियों से एक नया संसार रच देते हैं | इन लघु कथाओं के माध्यम से हम पाठकों से चौबारों की उसी दास्तान से आपको रूबरू कराना चाहते हैं , आशा है कि चौबारों की ये खट्टी मीठी बोली आपको पसंद आएगी | शब्द हमारे अवश्य हैं पर ज़बान चौबारों की है | एक बात और चौबारे आने वाली पीढ़ियों के लिए कुछ अनुत्तरित प्रश्न छोड़ जाते हैं | हमारे शब्द भी इन कथाओं से कुछ भी उत्तर नहीं देते बल्कि चौबारों की जबान में सवाल करते हैं, सवाल आपसे, सवाल समाज से, सवाल परम्पराओं से, सवाल किस्सों से, सवाल कहानियों से और सबसे जरूरी सवाल, सवाल अपने आप से | चौबारों का बोलना भी तो एक सवाल ही न ! क्यों ?

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