जब आप जामो-साकी, हुस्नो-नजाकत, रुमानियत से ऊपर उठकर ग़ज़ल को मानवीय सम्बन्धों के यथार्थ धरातल पर दृष्टि हासिल कर लेंगे तब आपको बरबस ही स्वर्गीय दुष्यंत कुमार त्यागी और रामावतार त्यागी याद आएंगे। इनके बाद बहुत से नये चेहरे हैं जो हिंदी में ग़ज़ल लिख रहे हैं इन सबसे अलग रामानुज अनुज ने अपनी ठेठ और प्रभावशाली लेखनी से अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज करायी है। ग़ज़ल को कलम की नोंक से नित नूतन प्रयोगों से चमत्कृत करने वाले रामानुज अनुज बड़ी सादगी के साथ बड़ी बात कह जाते हैं उनकी ग़ज़ल का प्रत्येक शेर उनके बेबाक तेवर की नुमाइंदगी करता है। प्रभावी संवेग, गहन संवेदना और सटीक प्रस्तुति को साथ लेकर अनुज ने ग़ज़ल का जो ताना-बाना बुना है वह समसामयिक घटनाओं, संवेगों और सम्वादों को व्याख्यायित करता है।
ध्वनि तरंग (Dhwani tarang)
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