प्रतिध्वनि (Pratidhwani)

195 176
Language Hindi
Binding Paperback
Pages 102
ISBN-10 9390889219
ISBN-13 978-9390889211
Book Weight 127 gm
Book Dimensions 13.97 x 0.53 x 21.59 cm
Edition 1st
Publishing Year 2021
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Author: Dr. Sunanda Mahajan

समय का चक्र बदलता रहता है। मन के भाव और विचार निरंतर गतिशील रहते है।मन के भाव,विचार कब भाषा के रूप में परिणत हो जाते है।यह तो फलीभूत होने के बाद ही आभास होता है।कविता क्या है?आचार्य राम चन्द्र शुक्ल ने कहा,”कविता ही मनुष्य के हृदय को स्वार्थ-संबंधों के संकुचित मंडल से ऊपर उठाकर लोक सामान्य की भावभूमि तक ले जाती है।जहाँ जगत की नाना गतियों से साक्षात्कार और शुद्ध अनुभूतियों का संचार होता है।इस भूमि तक पहुँचे हुए मनुष्य को कुछ काल के लिए अपना पता ही नहीं रहता।वह अपनी सत्ता को लोक सत्ता में विलीन किए रहता है।उसकी अनुभूति सबकी अनुभूति होती है।” इस कथन से मनःचेतना अभिभूत हो जाती है।शुक्ल जी ने कविता के संदर्भ में जो कहा,मुझे उनकी यह सबसे सारगर्भित परिभाषा लगती है।सही भी है,जो विचार आपके अन्तर्मन को झकझोरते है,जो अनुभूतियाँ आपके हृदय को भावोद्रेक कर दें

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