प्रकृति प्रारम्भ से ही मानव के साथ है । अपने दैनिक जीवन के कृत्यों से मनुष्य का जब जब ऊबा है, तब तब उसने प्रकृति की शरण ली है । आज मानव वायु, ध्वनि और जल प्रदूषण के कारण अनेक प्रकार के कष्ट उठा रहा है और उसका सामाजिक जीवन भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है । विश्वकीर्तिमानक डॉ. ओम् जोशी ने हृदय की इसी पीड़ा को प्रस्तुत बालगीत संग्रह ‘फूल सदा मुसकाते हैं’ में चित्रित करने का अनूठा प्रयास किया है । बच्चों के लिए यह दूसरा बालगीत संग्रह अत्यन्त उपयोगी है ।
फूल सदा मुसकाते हैं (Phool sada muskate hain)
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