वनराज खण्ड-एक (Vanraj Part – 1)

320 272
Language Hindi
Binding Paperback
Pages 242
ISBN-10 9390889464
ISBN-13 978-9390889464
Publishing Year 2021
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Author: Ramanuj Anuj

वनराज, लगभग 1500 पृष्ठ का उपन्यास है। यह उसका प्रथम खण्ड हैं जिसे प्रखर गूँज पब्लिकेशन प्रकाशित करने जा रहे हैं। उपन्यास में विज्ञान, अध्यात्म, दूसरे लोक, अभयारण्य, जीव जंतुओं की भूमिका है। सभी के पास, भाव हैं, वाणी है और शक्ति है। इन सभी से अन्तःप्रेरित उपन्यास का प्रमुख किरदार वनराज, अनेक किरदारों सहित लेखक के साथ लम्बी यात्रा पर निकला हुआ है। कार्य दुरूह है, परन्तु वनराज के लिए कुछ भी मुश्किल नहीं। वह शिवांश है, असीमित शक्तियों का स्वामी है। उपन्यास के प्रथम खण्ड को कुशल मूर्तिकार की तरह बारीकी से तराश कर प्रखर गूँज पब्लिकेशन नई दिल्ली पुस्तकीय शक्ल दे रहे हैं, इस महान कार्य हेतु मैं प्रकाशकीय टीम का हार्दिक धन्यवाद करता हूँ। यात्रा लंबी है, कठिन है पर असंभव नहीं है। वनराज जैसी दृढ़ इच्छा शक्ति और तारा जैसी सूझबूझ से पूरित किरदारों के साथ यह लम्बी यात्रा जरूर पूरी होगी। फिर सह्रदय पाठकों का सम्बल भी तो साथ है, जो नित नूतन ऊर्जा से मुझे सक्रिय बनाये रखेगा। कथा में विविधताएं हैं। परिवेश एवं भाषा के स्तर पर शहरी और ग्रामीण अंचल की विविधता, लौकिकता-अलौकिकता की और मनोवैज्ञानिक-आध्यात्मिक स्तर की विविधता का विश्लेषण है। उपन्यास आगे बढ़ेगा तब सहपात्रों की संख्या और भूमिका बढ़ेगी। सभी पात्र समाज के किसी न किसी चेहरे का प्रतिनिधित्व करते हैं जो हमारे बीच है। इन तमाम विविधताओं को एक सूत्र में बांधकर, घटनाओं की उथल-पुथल के बीच कथा को गतिमय रखने का कार्य वनराज, ढोला बाबा, कलुआ (श्वान), श्री माँ, सरपंचिन भाभी, शेखर, तारा, जयंती, जलपरी-जलप्रेत, ज्ञान से ओतप्रोत जंगली बिल्ली और तमाम स्थावर और जंगम का है। मैं बस निमित्त मात्र हूँ। रामानुज अनुज

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