विवाहिता प्रेमिकाएं !! हां बिडंम्बनापूर्ण जरूर है इन दो शब्दों का साथ होना पर नया नहीं है सदियों से ढका छुपा रहा है स्त्री का ये रूप विवाहिता भी और प्रेमिका भी , विपरीत ध्रुवों की इन स्त्रियों को प्रकटतया कभी नहीं रखा गया एक साथ एक ही फ्रेम में ; एक स्त्री हर काल हर उमर में चाहती है बनी रहना प्रेयसी ही पर गृहस्थी की उलझनें पौरुष दम्भ से जूझते पति की लालसाएं। घर की बंदिशों की सीलन से भरी दीवारें उपेक्षा और तिरस्कार से त्रस्त स्त्रियां अंततः पा ही जाती है अपना वितान देह से परे अपने सपनों का पुरुष मनचाहे साथी का साथ हाथ थाम अंतहीन सफर पर , अब वह नहीं हैं बंद संदूक में पड़ी एक डायरी सी जिसके पृष्ठ भी हो चले थे बदरंग समय ,
शिलाएं मुस्कुराती है (Shilayen Muskati Hain)
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