सिर्फ बिहान की बात’ जीवन के रंगों के साथ जिए और भोगे पलों की कविता साक्ष्य होती है। वह अतीत की अनुकृति, वर्तमान की दृष्टा और भविष्य की सचेतक होती है, और जब तजुर्बेकार, उम्र के साथ लंबा सफर तय किये हुये कवि की रचनाधर्मिता की बात चलेगी तब ‘सिर्फ बिहान की बात’ होगी, प्रकाश की बात होगी, रोशनी के प्रत्येक प्रतिमानों की बात होगी। एक ईमानदार कविता पाठक मन को आंदोलित करती है। सोचने को मजबूर करती है, दिशानिर्देश देती है, शांत के पलों में मन को आनन्दित करती है, आँखों में स्वप्नों का संजाल बुनती है। दुख के पलों में सांत्वना देती है। और विषम हालातों में जरूरत पड़ने पर तनकर खड़े रहने और जंग ठान लेने तक का जज्बा देती है। सभी गुणों की झाँकी इस पुस्तक में दिखाई देगीं।
सिर्फ विहान की बात (Sirf vihaan ki baat)
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