काव्य जीवन और जगत की रागात्मक अभिव्यक्ति है। काव्य में मानव हृदय – की भावनाओं का प्रतिबिंब रहता है। यही नहीं, उसमें आत्मा का वह रस होता है, जो अत्यंत सूक्ष्म हुए भी जीवन को परिचालित करता है और जिसके कारण ही वस्तुतः जीवन में आनंद है। हिंदी साहित्य के हजार वर्षों के इतिहास में कबीर, सूर और तुलसी जैसा व्यक्तित्व लेकर कोई उत्पन्न नहीं हुआ । उनकी रचनाओं का जो छाप पाठकों के हृदय पर दिखाई पड़ता है वैसा सम्मान अन्य रचनाओं को प्राप्त होना असंभव सा है। मैंने भी उन्हीं की शैली में कुछ पद रचना ‘हंसा चलो पिया के गाँव’ सभी पाठकों, मर्मज्ञ-विद्वानों के सामने प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। इसमें कुछ कविताओं का भी संग्रह है फिर भी आप सब का स्नेह मिला ।
हंसा चलो पिया के गांव (Hansa Chala Piya Ke Gaon)
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