“जब बाड़ ही खेत खाने लगे तो फसल कौन बचाए?” ” घुमा फिरा कर नहीं, हमें सीधे सीधे हमारे प्रश्न का उत्तर चाहिए। आखिर कौन है वह ?” “तो सुनिए इस राज्य की पालनहार.. शासक.. महारानी तारामती.. महारानी ही प्रजा के प्राणों की शत्रु है। महारानी ने राजकुमार के पच्चीसवें जन्मदिवस पर पच्चीस हजार एक मनुष्यों की बलि का संकल्प लिया है।” ” क्या? मैं नहीं मानती। कह दो ,कह दो कि यह असत्य है” “यह सत्य है देवी। इसीलिए तो धन-धान्य से ओतप्रोत इस राज्य में कोई रहना नहीं चाहता अपितु पहले अवसर में ही भाग जाना चाहते हैं किंतु हमारे राज्य की भौगोलिक संरचना उन्हें ऐसा नहीं करने देती। यदि कुछ भाग , छुपकर राजगढ़ पहुंच भी जाते हैं तो प्रत्यर्पण नियम के अनुसार उन्हें कल्पगढ़ वापस भेज दिया जाता है । असहाय और निरीह जनता अनुपयोगी पशुओं की भांति कटने मरने के लिए बाध्य है।” इतना बड़ा रहस्य जानकर प्रियम्वदा पत्थर हो गई और केवल इतना ही बोली। ” मुझे अब भी आपकी बात पर विश्वास नहीं होता” ” यदि ऐसा है तो आज रात्रि जलद्वार और अग्नि द्वार के नीचे जो तहखाने हैं वे आपस में जुड़े हुए हैं। वहां जाकर स्वयं सत्य को देख लीजिए। सांच को आंच क्या ?आप से एक विनती और है देवी ,कृपा करके मेरे नाम को गुप्त ही रखना।”
Abhishapt (अभिशप्त)
Brand :
Language | Hindi |
Binding | Paperback |
Pages | 120 |
ISBN-10 | 9394369279 |
ISBN-13 | 978-9394369276 |
Book Dimensions | 5.50 x 8.50 in |
Edition | 1st |
Publishing Year | 2022 |
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