नई पीढ़ी के पास समस्या भी तो है। अब किसी दफ्तर में अधिकारी या क्लर्क को श्रीमान जी कह भी लें तो किसी महिला कर्मचारी को श्रीमती जी तो नहीं कह सकते न। कुछ लोगों पर संबोधन के मामले में भूत सवार है। सर या मैडम कह लो तो चलेगा लेकिन चाचा या चाची तो कोई सुनने को भी तैयार नहीं। भाई साहब कहने पर भी कुछ लोग भड़क जाते हैं। किसी और देश में चले जाइए तो वहां भी समस्या खड़ी दिखाई देती है। मैम, मैडम या सर कहो तो लोग रुक कर बात सुन भी लेंगे। वहां श्रीमान जी या चाची जी कौन सुनने वाला है। लगता है कि रिश्ते के मामले में अंग्रेज बहुत समझदार थे। उन्होंने ज्यादा लफड़ा पाला ही नहीं। एक दो शब्द में पूरा देश निपटा लेने में वह माहिर रहे। हमारे कस्बे के सरेखचंद सर या मैडम से बहुत कुढ़ते हैं। उनके सामने किसी को मैडम या मैम कोई कह देता है तो मुंह बना के कहते हैं देखो, क्या बकरी की तरह में-में कर रहा है। कोई उनको चाचा या ताऊ कह दे तो बैठा कर चाय भी पिलाते हैं। रिश्तों के मामले में वह अंग्रेजियत के सख्त खिलाफ हैं। कहते हैं कि हमारे देश को अंग्रेजों और अंग्रेजियत ने मारा, बाकी किसी में कहां दम था लेकिन कोई उनकी सुने तब न।
Agale janm mohe vyangykaar hee keejo (अगले जन्म मोहे व्यंग्यकार ही कीजो)
Brand :
Reviews
There are no reviews yet.