अक्षर का लालित्य ‘अक्षर का लालित्य’ डॉ. ओम् जोशी का बीसवाँ मानक दोहासंग्रह है। इस संग्रह विशेष में दो सौ इक्यावन दोहे उपलब्ध हैं। यह दोहासंग्रह अपने आप में सार्थक है। इसमें भ्रष्ट नेता दुर्जन/सज्जन, वर्तमान, मनोनियन्त्रण, प्रगतिशीलता, सत्य, धर्म, सद्भाव, धरा प्रशंसा, परिवार, महँगाई, चुनाव, वृद्धों के सन्ताप, अशिष्टता, प्रतिभा, स्वर्ग सुख और दिव्य प्रकृति आदि विषयों और सन्दर्भों को मानक दोहों के माध्यम से मनोयोग से क्रमशः रेखांकित किया गया है। वर्तमान में बच्चे और युवा लेखन जैसी सार्थक और अनुपम विधा तथा विद्या से कोसों दूर हैं और इसीलिये वे अक्षर भी कीड़े मकोड़ों जैसे गिचिड़ पिचिड़ ही लिख रहे हैं। संक्षेपतः अक्षरों का लालित्य ही प्रायः अदृश्य हो चुका है। इसीलिए इस दोहासंग्रह का शीर्षक ‘अक्षर का लालित्य स्वतः प्रमाणित है । एतद्विषयक दोहा अवश्य द्रष्टव्य – अब बच्चे भी, युवक भी, कुछ ना लिखते नित्य। प्रायः नष्ट विशेषतः, अक्षर का लालित्य।।
Akshar ka Lalitya… (Manmohak Dohe) अक्षर का लालित्य… (मनमोहक दोहे)
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