व्यंग्य और हास्य को एक साथ साधना, ‘सिद्ध’ करना सदा से बड़े बड़े रचनाकारों के लिए टेढ़ी खीर रहा है। कोई व्यंग्यकार के रूप में विख्यात हुआ, तो कोई कोई मँजा हुआ हास्यकार कहलाया। किन्तु, डॉ. ओम् जोशी उन विरले क़लमवीरों में अन्यतम हैं, जिनकी लेखनी से व्यंग्य के साथ साथ हास्य की धारा सहज प्रवाहित होती है। डॉ. जोशी की काव्यगंगा दशकों का अनुभव समेटे, उत्तुंग विद्धत् शिखरों की कसौटियों से मान्यता पाकर, कठिन और प्रायः असम्भव कीर्तिमानों को भंग करती हुई, प्रतिष्ठित पुरस्कारों और वैष्विक सम्मानों के घाटों को संस्पर्श करती हुई, नई सदी की चुनौतियों से प्रतिस्पर्धा करती हुई, आज सुयशदायिनी उपलब्धियों की ‘वाराणसी’ में शोभायमान है। यह उनके अथक परिश्रम और अडिग संकल्पशीलता का ही सुपरिणाम है। एक बात और.. डॉ. जोशी का उच्च स्तरीय विशाल रचनासंसार इस जनधारणा को भी बड़े प्रेम से झुठलाता है कि गुणवत्ता ‘क्वालिटी’ और बड़ी संख्या ‘क्वांटिटी’ का कभी साथ नहीं हो सकता। श्रेष्ठ आलंकारिक भाषा प्रयोगों से सुसज्जित उनके लगभग छः लाख अधिक दोहे और पचास हज़ार से भी अधिक मानक मुक्तक प्रदेष और देष की अमूल्य साहित्यिक पूँजी हैं, पाठकों का अभिमान हैं। प्रस्तुत पुस्तक ‘अथ बाबूशाही’ हिन्दी पद्य विधा की ‘कुण्डली’ शैली में निबद्ध रंजक रचनाओं का अनूठा भण्डार है। यह पुस्तक वास्तव में ऐसे जीव के आचरण, कारनामों, लिप्सा और कुटेव का शब्द चित्रण है, जिसे क्लर्क या ‘बाबू’ कहा जाता है। हर कुण्डली बाबू और उसकी दुनिया का बारीक ब्यौरा है और बाबू की पैनी पड़ताल करती रचनाकार की भेदी दृष्टि की सूचक भी है। विश्वकीर्तिमानक डॉ. देवेन्द्र शर्मा
Ath Babushaahi (अथ बाबूशाही)
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