Chand Fir Nikala (चाँद फिर निकला)

299 269
Language Hindi
Binding Paperback
Pages 176
ISBN-10 9394369066
ISBN-13 978-9394369061
Book Dimensions 5.50 x 8.50 in
Edition 1st
Publishing Year 2022
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Author: Archana Saxena
सिमरन कपड़े बदल कर लेट तो गई पर आँखों से नींद कोसों दूर थी। कभी अपने पर क्रोध आता कि अच्छा खासा मरने गई थी, अगर कर ही लेती हिम्मत तो इस मानसिक प्रताड़ना से सदा के लिए मुक्ति तो मिल जाती। ये रोज रोज का किस्सा तो खत्म हो जाता। फिर लगता जान देना किसी समस्या का हल नहीं है। जब अपना जीवनसाथी खुद चुना है तो अब जो भाग्य दिखाएगा वह तो भोगना ही पड़ेगा। कोई और सहारा है भी तो नहीं। माता पिता से तो उसी दिन रिश्ता टूट गया था जब करन के साथ मुंबई भाग कर आ गई थी। सारी घटनाएँ एक के बाद एक चलचित्र की तरह आँखों के सामने घूम रही थीं।
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