“जन गण मन अधिनायक भारत भाग्य विधाता” यह संगीत जिन लोगों को खराब लगता है, उसका कारण यह है कि इसे जॉर्ज पंचम के स्वागत समारोह में गाया गया था। अगर यही संगीत आप नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को सामने रखकर गायेंगे तो आपको गर्व महसूस होगा, दिल में शक्ति, शान्ति, प्रफुल्लता, उत्साह महसूस होगा। इसलिए मैंने इस पुस्तक का नाम “जन गण मन अधिनायक…” रखना उचित एवं भारतवासियों के लिए हितकारी समझा। अगर गाने के बोल में खराबी होती तो यह गाना नेताजी को सामने रखकर गाने से भी खराब ही लगता और न लॉर्ड पंचम इस गाने को पसन्द करता और न उसकी याद के लिए राष्ट्रीय संगीत के रूप में स्वीकृति मिलती। इसके अलावा स्वयं रवीन्द्रनाथ टैगोर ने भी नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को “राष्ट्र नायक” के रूप में देखना चाहते थे। इस नाम को अपनी पुस्तक में विश्व कवि ने नेताजी के प्रति अपना भाव एवं आशा व्यक्त करते हुए लिखा है। कवि गुरु ने इस संगीत को स्वाधीन भारत के जातीय संगीत के रूप में गाने के लिए मना भी किया था। परन्तु यथार्थ रूप में भारत स्वाधीन न होने के कारण उनकी बात को ठुकरा दिया गया, अगर भारत यथार्थ रूप में स्वाधीन होता तो शायद नहीं गाया होता। इसलिए मैं सोचता हूँ अगर भारत के राष्ट्रभक्त लोग इस गाने को नेताजी के लिए गायेंगे तो कोई गुलामी का भाव नहीं आएगा।
Jana Gana Mana Adhinayaka (जन गण मन अधिनायक)
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