Kahe Hot Udaas (काहे होत उदास)

250 213
Language Hindi
Binding Paperback
Pages 125
ISBN-10 8196097050
ISBN-13 978-8196097059
Book Dimensions 5.50 x 8.50 in
Edition 1st
Publishing Year 2023
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Category:
Author: Ramanuj Anuj

इस ग़ज़ल संग्रह में 113 गजलों को स्थान दिया गया है यदि अनुज जी की गजलों की बात करूं तो मुझे यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि वे गजलों के सिद्ध जादूगर हैं उनकी कृपा से उनकी गजलों की कुछ किताबें मेरे पास भी हैं, जिन्हें मैं पढ़ा हूं और निरंतर पढ़ भी रहा हूं क्योंकि उन्हें बार-बार पढ़ने पर उनमें हर बार कुछ न कुछ नवीनता परलक्षित होती है। उल्लेखनीय है कि अनुज जी ने दुष्यंत कुमार के हिन्दी ग़ज़ल के कार्य को आगे बढ़ाया है और धीरे-धीरे वे भी उसी पंक्ति में आकर खड़े हो गए हैं। इनकी गजलों में सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे आम बोलचाल की भाषा में सरलता से इतनी गंभीर बात कहते हैं कि पढ़ने वाला भी अचंभित हो जाता है और कभी-कभी पाठक उनकी ग़ज़ल के किसी शेर, मतला या मक्ता को याद करके अचानक हंस पड़ता है या सीरियस हो जाता है। कृष्ण बिहारी नूर का यह शेर इनकी ग़ज़ल के कहन पर बिल्कुल खरा उतरता है: मैं तो ग़ज़ल सुनाकर अकेला खड़ा रहा, सब अपने-अपने चाहने वालों में खो गए। बहुत सलीके से ग़ज़ल कहने में माहिर हैं अनुज जी! इसके अतिरिक्त अनुज जी ने अपनी गजलों के माध्यम से समाज को झकझोर कर सचेत करते हुए एक नई दिशा देने का भी काम किया है। मैं उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं।

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