कहते ज्ञानी लोग डॉ. ओम् जोशी का सत्रहवाँ दोहासंग्रह है। हमारे प्राचीन ऋषि, मुनियों और लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकारों ने ऋग्वेद, रामायण महाभारत, श्रीमद्भागवत महापुराण सहित अन्यान्य सद्ग्रन्थों काव्यों और महाकाव्यों में अपना मौलिक चिन्तन प्रस्तुत किया है और समानान्तरतः ऐसे बोधवाक्यों और आप्तवचनों को हृदयोद्गार के रूप में प्रत्यक्ष अवतरित किया है, जिनका गहन अध्ययन चिन्तन मनन कर सहृदय पाठक और साहित्यानुरागी अपना जीवन स्वर्ण जैसा स्वर्णिम बना सकते हैं। प्रस्तुत दोहासंग्रह में विभिन्न दोहों और विचारपरक विविध कोणों के माध्यम से उन सारगर्भित नीतिपरक तथा संप्रेरक वचनों को मनोयोग से अभिव्यक्त किया गया है। एक सकारात्मक दोहा देखिए। इसमें संकट में भी अविचल और ध्यानस्थ रहने का संकेत दिया गया है संकट आएँ भी भले, मनुज रहे ध्यानस्थ। यदि तन मन की विमलता तो संसारी स्वस्थ।
Kahte Gyanee Log (Neetiparak Dohe)
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