ओशो रजनीश कहते थे कि तंत्र ने सेक्स को आध्यात्मिक बनाने का दुनिया में पहला प्रयास किया था। खजुराहो में खड़े मंदिर इसके सबूत हैं। चंदेल राजाओं द्वारा बसाए गए खूबसूरज खजुराहो में मंदिर, स्थापत्य और वास्तुकला का रचनात्मक, अद्वितीय, भव्य, और शानदार सृजन है। यहां की शिल्पकला में धार्मिक छवियों के साथ परिवार, देवता, अप्सराएं, सुंदरियां भी हैं। इनकी वेशभूषा और आभूषण की भव्यता मनमोहक है। यहां की मुद्राओं में अंकित मैथुन-मूर्तियों की कला भी अभूतपूर्व है। कला का जो अनुपम सौन्दर्य इनमें नजर आता है उसकी उपमा नहीं जा सकती है। नंगी तस्वीरें और मूर्तियां देखकर आपके भीतर कामुकता पैदा होगी, लेकिन मैं आपसे कहता हूं कि फिर आप देर न करें और सीधे खजुराहो चले जाएं। खजुराहो पृथ्वी पर इस समय अनूठी चीज है। आध्यात्मिक जगत में उससे अच्छी इस समय हमारे पास और कोई धरोहर नहीं बची है। पूर्व में हमारे नीतिशास्त्रियों के सुझाव थे कि खजुराहो के मंदिर पर मिट्टी छापकर दीवारें बंद कर देनी चाहिए, क्योंकि उन्हें देखने से वासना पैदा हो सकती है। मैं उनके इस बयान पर हैरान हो गया।
khajuraho ki kamniy murtiyan (aitihaasik upanyaas) ( खजुराहो की कमनीय मूर्तियाँ, ऐतिहासिक उपन्यास )
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