गीत काव्य की मधुर मनोहर विधा है। ‘कुछ सीपी कुछ शंख’ ऐसे ही गीतों और ग़ज़लों का संग्रह है। इसके कवि-गीतकार रत्नदीप खरे चिन्तक हैं, सहृदय हैं, मानव आचार-विचार के अध्येता हैं। युगीन स्थिति के विश्लेषक रचनाकार हैं। सामाजिक विसंगतियों के प्रति क्षोभ एवं विद्रोह उनके गीतों में मुखर हुआ है। भारत भू एवं अपनी संस्कृति के प्रति गूढ़ प्रेम उनके अन्तर्तम् में विद्यमान है। इसीलिए विपरीत परिस्थिति में वे विचलित हो उठते हैं। गीतों में इसकी अभिव्यक्ति दृष्टिगोचर होती है। आदि कवि बाल्मीकि वीतराग महात्मा थे। क्रौंच वध पर क्रौंची का विलाप सुनकर उनका हृदय द्रवित हो गया और प्रथम कविता का जन्म हुआ। ‘मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शास्वतीः समाः यत्क्रौंचमिथुनादेकमवधीः काममोहितम्’ और यह मान्यता प्रतिष्ठित हुई कि करुण भाव ही कविता का जनक है।
Kuchh Seepee Kuchh Shankh (कुछ सीपी कुछ शंख)
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