“कुछ यादें कुछ अहसास” मीत बनारसी की चौथी पुस्तक है जिसमें आज के सामाजिक परिवेश, मानवीय भावनाओं, पारिवारिक एवं सामाजिक रिश्तों के ताने बाने से बुनी हुई कवितायें हैं। मीत बनारसी की कुछ रचनायें उनके स्वयं के स्त्री होने के नाते स्त्री स्वभावानुरूप हैं, जिनमें स्त्री के कोमल मनोभावों का शब्दों के माध्यम से सजीव चित्रण किया गया है। अहसास… तुम एक अहसास लगते हो, अधबुझी प्यास लगते हो, ग़र तुम्हें भूलना चाहूँ तो, दिल के पास लगते हो।
Kuchh Yaaden Kuchh Ahsaas (कुछ यादें कुछ अहसास)
Brand :
Reviews
There are no reviews yet.