Maanav Aur Desh (मानव और देश)

495 421
Language Hindi
Binding Hard Bound
Pages 190
ISBN-10 9394369287
ISBN-13 978-9394369283
Book Dimensions 5.50 x 8.50 in
Edition 1st
Publishing Year 2023
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Category:
Author: Shri Matpragyah Shri Shri Sarv Muni ji

प्रस्तुत ग्रन्थ में :–  जैसे-चित्त कब तक अशान्त रहेगा?  लघु टिप्पणी:–क्योंकि कामनाएं पूर्ण हो जाने पर भी किसी न किसी तरह चित्त में अशांति की स्थिति पाई जाती है।  अतः यह प्रश्न सबके हित में है। और बहुत लाभकारी है। व्यापक विकार क्या हैं? लघुटिप्पणी:–जो सबके अन्दर प्रकट होने लगते हैं। जो विशेष हानिकारक तथ्य हैं। नुकसान वाले घटक हैं। जिनके कारण मानव जैसा महान जीवन का उद्देश्य पूर्ण होने में नहीं आता। लेकिन जिनको भली-भाँति जानते ही जिन पर कंट्रोल होने लगता है।  उन व्यापक विकारों के प्रति जिज्ञासा होना बहुत महत्त्व पूर्ण है। चित्त अशान्त क्यों है?    लघुटिप्पणी:–किसी एक ही विषय, परिस्थिति, घटना आदि को लेकर किसी को सुख, किसी को दुःख होने लगता है। यदि एक इच्छा पूरी हो भी जाये, तो और भी अनावश्यक इच्छाएँ पैदा होने लगती हैं। अतः संपूर्ण मानव सृष्टि, जीव जगत में व्यापक मूल इच्छाएँ क्या हैं? यह प्रश्न संपूर्ण मानव सृष्टि जीव जगत के हित में है। प्राप्ति पर भी न सामाजिक हित न आत्मिक हित की स्थिति। लघु टिप्पणी:-जीवन में सामर्थ्य होते हुए भी वह क्या है? जिससे हमारी भावनाओं में हितोदय नहीं रह पाता? यद्यपि हितोदय भाव की स्थिति सामर्थ्य से भी परे की पायी जाती है। यह भी प्रत्येक मानव में पैदा हो सकती है।

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