इस्लाम धर्म के उद्भव से पूर्व भारत का अरबवासियों से व्यापारिक सम्बन्ध चला आ रहा था किन्तु अरब नागरिकों द्वारा इस्लाम धर्म स्वीकार कर लेने के पश्चात उनके व्यवहार में परिवर्तन दिखायी पड़ने लगा। जो व्यापारी के रूप में विनम्रता एवं सद्व्यवहार के लिए विख्यात थे उनमें मज़हबी उन्माद ने प्रश्रय लेना प्रारम्भ किया। उन्होंने मालाबार तट पर इस्लाम का प्रचार करना प्रारम्भ किया और भारत पर बार-बार आक्रमण करके इस्लाम के दबाब को बढ़ाने के साथ लूट-खसोट की ओर अग्रसर हुए। कहते हैं कि ईराक के सूबेदार हज्जाज के लिए उपहार ले जा रहे एक अरब जहाज को देवल के समीप समुद्री डाकूओं ने लूट लिया। इससे नाराज हो हज्जाज ने राजा दाहिर से उसकी क्षतिपूर्ति की माँग की लेकिन उक्त कार्य में उसके नागरिकों का हाथ न होने के कारण उसकी गलत माँग को इनकार करते हुए दाहिर ने अपनी असमर्थता व्यक्त कर दी।

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