25 जुलाई 1958 (गुरुपूर्णिमा) को गाँव धोवखरा, जिला रीवा (मध्यप्रदेश) में मुंशी रामदुलारे श्रीवास्तव एवं श्रीमती रामदुलारी के घर-आँगन में जन्में रामानुज ‘अनुज’ विज्ञान स्नातक हैं। अनेक पुरुस्कारों से सम्मानित रामानुज अनुज अद्भुत साहित्य-सृजक हैं, यह कहते हुए मुझे तनिक भी संकोच नहीं है। हिंदी गद्य और पद्य दोनों ही विधाओं में उनकी लेखनी बराबर चलती है। सरल-सहज, प्रवाहमय भाषा, दृश्यों पर बारीक पकड़ के साथ लयात्मक अभिव्यक्ति उनकी रचनाओं की खासियत है। हमें अपने मध्य उपस्थित देश-गाँव की माटी से जुड़े इस रचनाकार को अधिक से अधिक पढ़ना होगा।
Mujhme Jinda Hain Yaar Ki Aankhen (Kaaljayi Padya Rachnaaen) ‘मुझमें जिंदा हैं यार की आँखें’ (कालजयी पद्य रचनाएँ)
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