महान महाकाव्य पिंगल रामायण के पृष्ठों को पढ़ते हुए, जैसे ही उसकी घटनाएँ जीवंत होकर हमारी आँखों के सामने उभरने लगती हैं, तो ऐसा अनुभव होता है कि जैसे समय को पीछे की ओर ले जाया गया है। इसे ऋषि वाल्मीकि की मूल रचना से भी अधिक विस्तार से चित्रित किया गया है। यहाँ एक नई रोशनी में, हमें रावण के अधीन देवताओं के क्लेश, और सहायता प्राप्त करने के लिए भगवान ब्रह्मा और विष्णु के पास उनकी हताशा भरी याचना का अनुभव होता है। उनसे परामर्श पा कर, देवता-गण किष्किंधा के महान वानर साम्राज्य को अपने दिव्य बल से सशक्त करने के लिए जाते हैं, और उनमें से बहुतों को अत्यंत शक्तिशाली बना देते हैं। हम यह भी देखते हैं कि शुक्राचार्य के परामर्श से, कलि और शनि कैसे अपने द्वेषपूर्ण प्रभाव का विस्तार करते हैं और उन अकल्पनीय घटनाओं की ओर ले जाते हैं जिनका अंत राम, सीता और लक्ष्मण के अयोध्या से चौदह वर्ष के लिए निर्वासन और वनवास में होता है। चित्रकूट और पँचवटी में, ऋषियों के संग द्वारा अनुप्राणित उनका दीर्घ प्रवास तब तक जारी रहा, जब तक रावण ने सीता का बर्बरता-पूर्वक अपहरण करते हुए शांति-भंग नहीं कर दी। बाद में, युद्ध जीतने पर, उन्हीं नकारात्मक बलों द्वारा फैलाए गए कपट-पूर्ण अफवाहों के आधार पर, जो रानी सीता की पवित्रता और सम्मान पर संदेह करते थे, उनका त्याग करते हुए उन्हें वाल्मीकि आश्रम के समीप छोड़ दिया गया। यद्यपि राजा राम को कलि और शनि के लगातार आक्रमणों के कारण कई-गुणा समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था, तथापि, हम देखते हैं कि उन्होंने कैसे पृथ्वी पर एक वास्तविक स्वर्ग की सृष्टि करने का प्रबंध किया जहाँ बिना किसी विरोध या असहमति के, शांति, समृद्धि और दिव्यता का शासन था।
Pingal Ramayana
Language | Hindi |
Binding | Hard Bound |
Pages | 1100 |
ISBN-13 | 978-9392756023 |
Edition | 1st |
Publishing Year | 2022 |
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