रखो चन्दन जसी जिनगी ‘रखो चन्दन जसी जिनगी’ विश्वकीर्तिमानक डॉ. ओम् जोशी का दूसरा महत्त्वपूर्ण मालवी मुक्तक संग्रह है और क्रम की दृष्टि से चौथा मालवी काव्य संग्रह। इस मुक्तक संग्रह में अट्ठाईस मात्राओं वाले एक सौ पचपन भाव भरे स्वर रचित मुक्तक विशेषतः संकलित हैं । इस मुक्तक संग्रह में राष्ट्र प्रेम, प्रेम की बोली, विश्वास, सावन, फागुन, होली, ज्ञान, दया, पर्यावरण, ज्ञानगंगा, देश सुरक्षा जैसे विषयों के अनुपम शब्द चित्र अनायास उपलब्ध हैं और उनका धुआँधार आश्चर् जनक वर्णन भी स्वतः प्राप्त है। ‘रखो चन्दन जसी जिनगी’ में मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र की मालवी बोली की चन्दन जैसी सुगन्ध भी व्याप्त है और मालवी की सहज मधुरता भी ।
Rakho Chandan Jasi Jingi (Bhaavbharya Maalvi Muktak) रखो ‘चन्दन’ जसी जिनगी (भावभर्या ‘मालवी’ मुक्तक)
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