“रमण रामायण” एक ऐसा अद्भुत ग्रन्थ है, जिसमें लेखक दंपत्ति द्वारा विभिन्न ग्रंथों से तथ्यों को लेकर और उन्हें क्रमवार समायोजित कर अपने ईष्ट के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करने का प्रयास किया गया है। श्रीराम से सम्बंधित सभी प्रसङ्गों को एकत्रित कर और उन्हें क्रमवार सजाकर बिल्कुल सरल भाषा और सहज शैली में इस ग्रंथ में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। इस ग्रन्थ में श्रीराम के प्रति जितने अपवाद प्रचलित हैं, उनका बहुत ही सुन्दर ढंग से लेखक दंपत्ति ने परिमार्जन भी किया है। एक प्रसङ्ग है- यज्ञ समाप्ति के पश्चात जब छः ऋतुएँ बीत गयीं और वह अवसर आ गया, जिसमें प्रभु को प्रकट होना था। माता कौशल्या ने दिव्य लक्षणों से युक्त जगदीश्वर श्रीराम को जन्म दिया। इधर अयोध्या के राजमहल में कुलगुरु वशिष्ठ ने महाराज दशरथ से कहा- “युगों की तपस्या पूर्ण हुई है राजन!
Raman Ramayan (रमण रामायण)
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