महत्वाकांक्षी सिकंदर सारे विश्व को जीतने के लिए भारत आता है और उसकी भेंट होती है एक ऐसे सच्चे संन्यासी से जिसे सिकंदर अपने साथ यूनान ले जाना चाहता है, क्योंकि उसके गुरु अरस्तु ने कहा था कि भारत से अपने साथ एक संन्यासी को ले आना। देखें तो कि भारत में किस प्रकार के संन्यासी होते हैं। वह संन्यासी अपने में मस्त है। उसका आना-जाना सब बंद हो चुका है। वह सिकंदर के साथ कहीं नहीं जाना चाहता। सिकंदर धमकी देता है कि गर्दन काट दूंगा, अगर इनकार किया। संन्यासी बेफिक्री से जवाब देता है- काटो, जैसे तुम मेरी गर्दन को काटते देखोगे, वैसे मैं भी अपनी गर्दन को कटते देखूंगा। मेरे हिसाब से तो मेरी गर्दन बहुत पहले से कट चुकी है जिस दिन से मेरा अहंकार विसर्जित हुआ है,
Samaaj Ka Praharee (समाज का प्रहरी)
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