‘सर्वोदय के पन्थ’ विलक्षण . विश्वकीर्तिमानक डॉ. ओम् जोशी भारतवर्ष के एक मात्र ऐसे साहित्यकार हैं, जिनके कुल तेरह मुक्तक संग्रह प्रकाशित हैं और यह चौदहवाँ समलंकृत मुक्तक संग्रह आपके हाथों में है । इस संग्रह विशेष में संयोजित और संकलित सभी स्वरचित मुक्तक चौबीस मात्राओं वाले हैं और इनका शिल्प, इनका प्रवाह, इनकी भाषा और इनमें वर्णित अर्थान्तरन्यास, उपमा, उत्प्रेक्षा, अनन्वय, व्यतिरेक, रूपक, संसृष्टि जैसे अन्यान्य अलंकारों की छटा इन्द्रधनुष जैसी अनुपमेय से भी अनुपमेय ही है । वस्तुतः प्रस्तुत समलंकृत मुक्तक संग्रह में तीन सौ एक के तीन एक मुक्तक विशिष्टतम से भी विशिष्टतम हैं और ये समस्त मुक्तक विशेष सर्वोदय के पन्थ जैसे आकर्षक भी हैं और सम्प्रेरक भी । कहना न होगा कि ये सभी मुक्तक अपने शीर्षक ‘सर्वोदय के पन्थ’ को भी सर्वतः संकेतित और प्रमाणित भी करते हैं ।
Sarvoday ke Panth Smlankrit Muktak (सर्वाेदय के पन्थ समलंकृत मुक्तक)
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