Saty Hai Gunah

175 158
Language Hindi
Binding Paperback
Pages 86
ISBN-10 9390889618
ISBN-13 978-9390889617
Book Weight 109 gm
Book Dimensions 13.97 x 0.46 x 21.59 cm
Edition 1st
Publishing Year 2021
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Author: Dr. R K Tiwari 'matang'

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि आम जनमानस भ्रष्टाचार,शोषण,झूठ,फरेब आदि के डर से कभी उबर ही नहीं पाया।हर व्यक्ति डरा हुआ प्रतीत होता है।हर व्यक्ति इसकी शिकायत करते पाया जाता है।तमाम प्रयासों के बाद ऐसी स्थिति बनी ही रहती है। प्रायः बचपन से ही देखा जाता रहा है कि लगभग हर छोटा बड़े का शिकार बन जाता है या उसे डर बना रहता है।समाज की स्थिति ऐसी है कि आज अगर एक भी महिला घर से बाहर निकलती है तो भयमुक्त नहीं रह पाती।आदमी से आदमी डरता है।ईश्वर ने आदमी को सर्वश्रेष्ठ बनाया परंतु आदमी ने ही आदमी का जीना हराम कर दिया और जानवर तक को नहीं छोड़ा। हर व्यक्ति डर में जी रहा है।हर व्यक्ति आभाव में जी रहा है।अपना तत्काल पराया हो जाता है।शिक्षित व्यक्ति अशिक्षित की चाकरी करने पर मजबूर है।समाज में आर्थिक दूरियाँ इतनी बढ़ती जा रही हैं कि लोग अपने से कमजोर को आदमी ही नहीं समझते।लोगों के साथ बैठना तो दूर, मिलना भी पसंद नहीं करते।धर्म के नाम पर शोषण होता है।तमाम पूज्य स्थानों से जेलों तक की यात्रा करते गौरवान्वित महसूस करते हैं जिससे आम जनमानस काफी आंदोलित रहता है।प्रायः छोटे तबके के बाल,बृद्ध एवम महिलाओं की स्थिति दयनीय दिखती है।लोगों में विश्वास की कमी दिखती है।कोई किसी की सुनता नहीं। इन्हीं बातों से प्रभावित होकर मैंने अपनी बातों को कविता के माध्यम से समाज के मध्य रखने का प्रयास किया। डॉ आर के तिवारी “मतङ्ग”

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