डाॅ. निशा प्रकाश ने कोसी अंचल की महिला साहित्यकारों में चन्द वर्षों के दौरान ही अपने स्वाध्याय, चिन्तन और लेखन से एक विशिष्ट स्थान बनाने में सफलता प्राप्त की है। एक कुशल गृहणी, जागरूक माँ और एक आदर्श पत्नी के दायित्व का निरवहन करते हुए साहित्य के काव्य और कहानी दो-दो क्षेत्रों में अपनी विलक्षण प्रतिभा का परिचय देकर एक प्रतिष्ठित स्थान बनाने में सफल रही है। साथ ही पूर्णिया के महिला समाज में सामाजिक व साहित्यिक आयोजन के माध्यम से कुछ सार्थक समन्नव्य व चेतना जाग्रत करने में भी प्रयासरत रहे हैं। अतः अपने परिवारिक व सामाजिक परिवेश के कारण ही इनकी अत्याधिक रचनाओं का कथ्य नारी समाज के सुख-दुख, समस्याएं, भावनाएँ एवं उत्थान-पतन आदि ही विभिन्न बिम्बों के माध्यम से परोसे गये लगते हैं। अमुमन कहानियाँ पढ़ने में और कविताएँ सुनने में रूचिका होती है, पर डाॅ. निशा प्रकाश की कविताएँ इस में अपवाद लगती है। उनका कथ्य व ताना-वाना काल्पनिक कम, स्वाभाविक अधिक लगता है। शैली-शिल्प शब्दों का चयन व उनका कलात्मक प्रयोग भी रचना में माधुर्य प्रदान करता है। इनकी लेखनी से वर्तमान साहित्य जगत को कुछ विशेष व विशिष्ट आशाएँ हैं।
Shabdon ka karvaan (शब्दों का कारवां)
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