मनुष्य के होने का कारण अभी तक समझ नहीं आया। कहीं-कहीं विज्ञान भी मानता है कि मनुष्य इस धरती का प्राणी नहीं है। विकास का डार्विन सिद्धांत अपनी अंतिम खोज में कहीं भटक गया। बंदरों को इंसान का पूर्वज बता दिया मगर बंदरों से इंसान तक कई कड़ियाँ अधूरी हैं, बहुत बड़ा अंतराल है। या तो वो अंतराल कहीं खो गया है, या इस बात में थोड़ा दम है कि इंसान किसी और धरती से इस पृथ्वी पर आया है। विज्ञान की खोज ये भी कहती है कि इस ब्रह्माण्ड में करीब-करीब 50 हज़ार ग्रह होने चाहिए जहाँ जीवन संभव है। और भी होने चाहिए ये अभी खोज का विषय है, किस विकास में, अभी कह नहीं सकते, हो सकता है कि ग्रहों पर विकास शुरुआती अवस्था में हो या आधा अधूरा हो गया हो, या अपनी चरम अवस्था में पहुँच गया हो। विज्ञान की तरक्की भी अपने चरम शिखर पर हो। हो सकता है कि इसी के चलते इंसान इस धरती पर आ गया हो और फिर यहीं रह गया हो या शायद वापिस जाने से चूक गया हो ये सब अभी खोज का ही विषय है। विज्ञान भी अभी लगा है खोजने में और ऋषि-मुनि भी अभी लगे हैं खोजने में।
Tatvmasi Upnishad Part-1 (Bhoomika) (तत्वमसि उपनिषद भाग-1 भूमिका)
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