उसी रात मेरे पति के भीतर का शैतान फिर से जागृत हुआ और घर छोड़कर भागने की सजा के तौर पर उसने सोते समय मेरे ऊपर तेजाब डाल दिया। उसने बहुत शराब पी रखी थी और कमरे में भी बहुत अंधेरा था ….शायद इसलिए मेरा चेहरा भर बच गया। मगर मेरा पूरा शरीर ……मांस का टुकड़ा बनकर रह गया।”—– इतना कहते हुए मंजू ने अपना शाल हटा दिया। कपड़ों से झांकते उसके गले, बाँह और पेट का वीभस्त रूप उस राक्षस की कुत्सित मानसिकता की सच्चाई को उजागर कर रहा था । मैं रो पड़ा । जी ने चाहा कि मैं उसे अपनी बाहों में जोर से भींच लूं ……उसकी आत्मा में समा जाऊं…. ताकि उस के दर्द को मै भी महसूस कर सकूं…. आखिर मैं भी कहीं ना कहीं उसकी इस हालत का जिम्मेदार था….।
Tu Pyaar Hai Kisi Aur Ka (तू प्यार है किसी और का)
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