‘यही सनातन धर्म’ . असाधारण दोहा संग्रह : ‘यही सनातन धर्म’ वस्तुतः समकालीन भारतीय साहित्य में तथा इस इक्कीसवीं शताब्दी में जनचेतना को सुव्यवस्थित और अद्भुत रूपाकार देनेवाले तथा यथार्थवाद का समुचित और वास्तविक चित्रण करनेवाले विश्वकीर्तिमानक डॉ. ओम् जोशी का प्रस्तुत दसवाँ अपूर्व, मानक और स्वरचित दोहा संग्रह ‘यही सनातन धर्म’ विचाराभिव्यक्ति और भावाभिव्यक्ति का अविस्मरणीय तथा प्रभावोत्पादक प्रतीक विशेष है . प्रस्तुत दोहा संग्रह में नव परिवर्तन से प्रसन्न ‘भारतवर्ष’ का सांगोपांग चित्रण अनायास उपलब्ध है. इसके साथ ही इस दोहा संग्रह विशेष में कर्मशीलता, घपले, घोटाले, भ्रष्टाचार, राजनीति के विविध विकट परिदृश्य आदि रेखांकित और वर्णित हैं. इस दोहा संग्रह के अंतिम दोहे में ‘सनातन धर्म’ की सारगर्भित, किन्तु, संक्षिप्त परिभाषा दोहा संग्रह के शीर्षक ‘यही सनातन धर्म’ को भी सत्यापित और प्रमाणित कर रही है – रहें सहायक दुःख में, कर न्यायोचित कर्म। मानवता त्यागें नहीं, यही ‘सनातन’ धर्म ।।
Yahee Sanatan Dharma Samsamayik Dohe (यही ‘सनातन’ धर्म समसामयिक दोहे)
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