जिनके दिलों में भावनाओं का वह समंदर बहें जो कहीं किसी कोने में हिलोरे ले रहा है बस कोशिश करनी है तो उसे समाज के समक्ष रखने की। बहुत से विचार इस पुस्तक में आपको अंदर तक झिंझोड़ देंगे। यदि कम शब्दों में कहा जाए तो हम सभी को जरूरत है इन सभी को पढ़कर अपने जीवन में इन सभी बातों का अनुसरण करने की। संदीप सबसे पहले मैं तुम्हें शुभकामनाएं प्रेषित करती हूँ और साथ में अनंत बधाई भी देती हूँ की इन अभिव्यक्तियों के द्वारा तुमने समाज के ऐसे हिस्से को जगाने की कोशिश की है जिन्होंने इन सब बातों को कहीं न कहीं पीछे छोड़ दिया हैं। पुस्तक में 450 विचार हैं। जो की हम सभी के जीवन से इत्तेफाक रखते हैं। यह पुस्तक सिर्फ पढ़ने के लिए नहीं बल्कि पढ़कर उन सब बातों का अनुसरण करने के लिए भी है जिन बातों को हम साधारण समझकर छोड़ देते हैं। सिर्फ कह देने से या फिर विचार रख देने से बात नहीं बनती है हमें जरूरत है जो सभी से पूछने की समझने की। हम सभी जानते हैं की एक इंसान तभी इंसान बनता है जब उसके अंदर वह इंसानियत जीवित हो जिससे समाज का कल्याण हो। और यह तभी संभव है जब हम सभी एक दूसरे से हाथ से हाथ मिलाकर आगे चलें। एकता में शक्ति है यह आप सभी बचपन से सुनते आ रहे हैं परंतु वही एकता की शक्ति कहीं सिमट गई है भाग दौड़ के इस जीवन में जैसे एक दूसरे से ऊपर आने की होड सी लगी है ऐसे में मेरा मानना है यह पुस्तक मील का पत्थर साबित होगी।
Jindagi se jung jeetenge hum (ज़िंदगी से जंग जीतेंगे हम)
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